रविवार, 24 अगस्त 2008

एक लघु कथा

"नमक कहां है,अन्शु नमक कहां है?"
"मम्मी वहीं तो है!"
"मुझे प्याज भी नही मिल रहा है,चल आकर बता कहा है ? और जरा मेरे साथ रोटी सेकने मे मेरी मदद कर!"
"मम्मी! मुझे बहुत सारा होमवर्क भी करना है ,बार बार क्यो उठाती हो!"
"अरे लड़की की जात काम नही करेगी तो क्या करेगी ? शाला मे क्या करती है?"
"मम्मी कितनी भी पढाई शाला मे हो होमवर्क तो घर मे ही आकर करना होता है, आज मै कुछ नही कर सकती मुझे बहुत सारा होमवर्क करना है!"
"अब बहाने मत बना काम के समय ही तुझे पढाई दिखता है सारा दिन क्या करती है?"
"मम्मी आप मुझे समय दोगी तो मै पढुंगी ना! सुबह उठो, पानी भरो, रोटी बनावो फ़िर ट्युशन जाओ! वहां से आओ शाला जाने को तैयार हो ,फ़िर ५ बजे शाला से आओ और ट्युशन जावो,फ़िर रात का खाना बनवो ओर सबको खाना खीलाओ। घर मे कौन सी चिज कहां रखी है वो सब मुझे इस होमवर्क से ज्यादा मालूम है। धनिया मिर्च मसाला सब पता होता है ,पर कब क्या पढना है वो याद नही है?"
"लड़की की जात जबान चलाती है? चल चुप चाप काम कर !"
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"निता कैसी हो?"
"अन्शु, आजकल तुझे क्या हो गया है? कल शाला क्यो नही आयी थी ?"
"कल मेरे यहा काम वाली नही आइ थी काम कर रही थी !"
"क्यो मम्मी क्या कर रही थी?"
"मम्मी नौकरी करती है ना!"
"पर अन्शु तेरी पढाई ,पहले तु कक्षा मे प्रथम आती थी। अब तो तु क्या कर रही है ?"
"निता, समय निकाल कर पढती हूं पर घर का इतना सारा काम होता है, सारा समय वहीं चला जाता है,काश मै पहले जैसे छोटी होती कोई काम नही होता सारा दिन पढाई करती होती।"
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"मम्मी मुझे इंजीनियरिंग करनी है, फार्म भरने पैसे चाहीये।"
"कोई इंजीनियरिंग नही करना है, लड़कियो को बाहर पढने भेजना हमारे बुते की बात नही हओ। हमारे पास इतना पैसा नही है। फिर तेरी शादी भी करनी है, बहुत पैसा खर्च होगा। चुपचाप बी ए कर! ज्यादा से ज्यादा बी एस सी कर ले।"
"मम्मी लेकिन भैया इंजीनियरिंग करेगा तो मै क्यो नही ?"
"वो लड़्का है , तु लड़की है। तु इंजीनियरिंग करेगी तो तेरे लिये लड़्का भी तो इंजिनियर ढुंढना पड़ेग।इतना पैसा नही है हमारे पास। अब रोना धोना छोड़ ! भैया अभी क्रिकेट खेल आने वाला होगा। उसके लिये चाय बना। "

सोमवार, 11 अगस्त 2008

पहला चिठ्ठा

आज ऐसे ही बैठे बैठे सोचा की हमारे मामा तो हिन्दी चिठ्ठा जगत के पितामह हैं हमने भी सोचा की चलो हम भी चिठ्ठा लिखें और हम आ गए अपना चिठठा लेकर
अब जब भी मन होगा तो हम भी कभी कभी अपने मन की भड़ास निकाला करेंगें। अब आपको झेलना है झेलिये ! अच्छा लगे तो टिप्पणी भी दिजीये !
अभी के लिये सभी को हमारी राम राम !