सोमवार, 11 अगस्त 2008

पहला चिठ्ठा

आज ऐसे ही बैठे बैठे सोचा की हमारे मामा तो हिन्दी चिठ्ठा जगत के पितामह हैं हमने भी सोचा की चलो हम भी चिठ्ठा लिखें और हम आ गए अपना चिठठा लेकर
अब जब भी मन होगा तो हम भी कभी कभी अपने मन की भड़ास निकाला करेंगें। अब आपको झेलना है झेलिये ! अच्छा लगे तो टिप्पणी भी दिजीये !
अभी के लिये सभी को हमारी राम राम !

3 टिप्‍पणियां:

रवि रतलामी ने कहा…

वाह, क्या बात है. बहुत बढ़िया. शुभकामनाएँ व आशीर्वाद.

Anita kumar ने कहा…

हमारी भी शुभकामनाएं, आप के मन की भड़ास का इंतजार रहेगा
शब्द पुष्टिकरण की कोई खास वजह? तकलीफ़देह है।

Sanjeet Tripathi ने कहा…

छत्तीसगढ़ की बेटी का हम भी स्वागत करते हैं और एक ब्लॉगर होने के नाते शुभकामनाएं भी।